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कविता

आँकुसपुर

केदारनाथ सिंह


आँकुसपुर
रुकी नहीं ट्रेन
हमेशा की तरह धड़धड़ाती हुई आई
और चली गई छोड़कर आँकुसपुर

सिर्फ दसबजिया यहाँ रुकती है
कहा एक यात्री ने
दूसरे यात्री से।

क्यों ?
आखिर क्यों ?
फिर पृथ्वी पर क्यों है आँकुसपुर -
जब रहा नहीं गया
तो तार पर बैठी एक चिड़िया ने पूछा
दूसरी चिड़िया से

 


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